Saturday, January 16, 2010

ब्रिटेन में सिंगल मदर्स में डिप्रेशन ज्यादा


जयपुर। यूरोपियन देशों में टीनएज प्रेग्नेसी और सिंगल मदर की संख्या ज्यादा होने के कारण डिप्रेशन के केसो में इजाफा हो रहा है। इन देशों में ब्रिटेन का पहला नंबर है। ब्रिटेन में चौदह से सोलह साल की उम्र में बच्चे आत्मनिर्भर बन रहे हैं। घर से अलग रहने और फैमिली का सपोर्ट नहीं मिलने पर टीनएज प्रेग्नेसी सामान्य बात बनती जा रही है। इसकी वजह से सिंगल मदर का कंसेप्ट भी वहां ट्रेंड में आया है। कम उम्र में सिंगल मदर बनना और बच्चे की उचित देखभाल नहीं कर पाने के कारण मां और बच्चे डिप्रेशन से ग्रसित रहते हैं। इंडियन साइकैट्रिक सोसाइटी की ओर से आयोजित इंडो- ग्लोबल साइकैट्रिक इनिशिएटिव मीटिंग में भाग लेने आए यूके के मनोचिकित्सक डॉ. आनंद रामकृष्णनन ने यह जानकारी दी। भास्कर से मुलाकात में उन्होंने कहा कि आजकल फैमिली का सपोर्ट नहीं मिल पाना डिप्रेशन की मुख्य वजह बनता जा रहा है। यूरोपियन कंट्रीज में इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। जबकि इंडिया में वेेस्टर्न कल्चर को फोलो करने के बाद भी फैमिली और कल्चर वैल्यूज को महत्व दिया जाता है। इस मीटिंग में साइकोसिस के क्षेत्र में होने वाली नई रिसर्च पर भी चर्चा हुई। जयपुर के डॉ. शिव गौतम ने कहा कि कैंसर और डिप्रेशन का भी सीधा संबंध होता है। आज भी इंडियंस कैंसर को सहजता से स्वीकार कर लेते हैं। लेकिन अन्य देशों में इसे सहज भाव से स्वीकार नहीं किया जाता है। इसी कारण वेस्टर्न लोगों में डिप्रेशन ज्यादा देखा जाता है।

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